हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया हैं इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الرضا عليه السلام
مَنْ قَرَأَ فى شَهْرِ رَمَضانَ ايَةً مِنْ كِتابِ اللّه ِ كانَ كَمَنْ خَتَمَ الْقُرْانَ فى غَيْرِهِ، مِنَ الشُّهُورِ.
हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
माहे रमज़ान में क़ुरआन की एक आयत की तिलावत, दूसरे महीनों में पूरे क़ुरआन को ख़त्म करने के बराबर है।
बिहारुल अनवार,भाग 93,पेज 346
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